मैं हुँ एक हिरन का बच्चा
और यह मेरी कहानी है.
एक पल में मिले ज़िन्दगी,,
तो दूजे में मौत भी आनी है
*
ज़मीं पर मेरा, वोह पेहला क़दम
फिर दौड्ते हुए वो माँ के पास जाना.
लड़खड़ाते क़दम को आगे बढ़ा के
जा के माँ के आँचल में मेरा छीप जाना..
*
हरी हरी घास और वह हरी पत्तियाँ..
नयी उमंगे जगाएँ उड़ती हुई तितलियाँ...
हर और देखूँ मैं ईस अजनबी दुनिया को
अपनी सी लगे मेरी माँ की प्यारी सी अखियाँ..
*
खेलूँ, कुदु, दौडू, भागू,
हर पल मैं अपनी माँ को सताउ
फिर यहाँ वहाँ भाग दौड के
जा के अपनी माँ के पास बैठ जाउ..
*
ईस ख़ुशी भरे लम्हों में,
एक दिन गम का माहॉल छा गया..
जब शेर मुझे उसके मुह मे लेके
अपना शिकार बना कर चला गया
*
भागने की कोशिश की थी बहोत..
पर मैं शेर के पंजे से बच ना सका
ज़िन्दगी के उस आख़िरी पल में
अपनी माँ को भी मैं देख ना सका
*
कुछ पल के लिये ही सही मुझे
ईस अजनबी दुनिया ने अपना बनाया था
मेहसुस कर रहा था माँ की रोती हुई उन आँखो को
जब शेर ने मुझे अपना निवाला बनाया था
*
मैं हुँ एक हिरन का बच्चा
बस यह मेरी कहानी है.
*
बस यह मेरी कहानी है. .......!
एक हिरन के बच्चे की कहानी.......!
Posted by Dhaval Rami at 11:50 p.m. |Thursday, September 27, 2007
Ghazal : yaa Khudaa !! parvardeegaar.....!
Posted by Dhaval Rami at 1:04 a.m. |Sunday, September 23, 2007
yaa Khudaa !!,parvardeegaar
lauTaa de mujH ko miraa pyaar
*
uss ki yaadeN taD.paatii hai
aaYeN na ab chain-qaraar
*
chaaNdani ki baateN kyaa karuN maiN
ziNdagi lage hai Shab-e-taar
*
Shab-e-taar : aNdheri raat
*
meri naZreN usko DhuNDhe hai
kab tak karuN maiN iNtezaar ?
*
aaj tak maaNgaa nahiN kuch bhi
maaNgataa huN maiN aaKhiri baar
*
ess "Dhaval" ko hai bharosaa tujH pe
kyuuN ki tuu hai baDaa dildaar
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या खुदा !!,परवरदीगार !
लौटा दे मुझ को मेरा प्यार
*
उसकी यादें तडपाती है
आएँ ना अब चैन क़रार
*
चाँदनी की बातें क्या करुँ मै
ज़िन्दगी लगे है शब-ए-तार
*
शब-ए-तार : अंधेरी रात
*
मेरी नज़रें उसको ढूँढे है
कब तक करुँ मैं इंतेज़ार ?
*
आज तक माँगा नहीं कुछ भी
माँगता हूँ मैं आखिरी बार
*
एस "धवल" को है भरोसा तुझ पे
कयूँ की तू है बड़ा दिलदार
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